Wednesday, November 21, 2012


"गैरबराबरी के खिलाफ युवाओं की आवाज़"

युथ असेम्बली 2012 का दूसरा दिन

18 नवम्बर, 2012

"हमें बराबरी का अधिकार तो सन् 1950 में ही मिल गया था लेकिन आज भी महिला, पुरुष, जाति और धर्म की गैरबराबरी के उदाहरण आये दिन देखते को मिलते है जिन पर हमें अभी बहुत काम करना है।" यह बात पीयूसीएल की राष्ट्रीय सचिव व सामाजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव ने "गैर बराबरी के खिलाफ, युवाओं की आवाज" युथ असेम्बली के दूसरे दिन युवाओं को संबोधित करते हुए कही।
विकल्प के अध्यक्ष बी.एल. पालीवाल ने युवाओं को खुद को पहचानने के लिए कहा उन्होंने कहा कि मन से विचारों से युवा बनने की जरूरी है। साथ ही हमारे बीच घटित समस्याओं, गैर बराबरी को पहचानने की जरूरत है। हमें सच को सच और गलत को गलत कहने की हिम्मत नहीं जुटा पायेंगे तब तक इसमें सुधार संभव नहीं है। उन्होंने बताया कि युवा तभी युवा है जब तक वह यह सिद्ध नहीं करें की वो युवा है, मैं मानता हूं कि आप सभी उम्र से युवा है परन्हें मन और विचारों से युवा होने की जरूरत है।

विकल्प संस्थान की सचिव योगेश ने कहा कि प्रजातांत्रिक मूल्यों के खात्मे से सबसे ज्यादा नुकसान गरीबों और समाज के अन्य कमजोर वर्गों का होता है। गैरबराबरी हमारी बुनियाद को हिला रही है। ये समाज में खाई पैदा कर रही है। इसके लिए बहुत जरूरी है कि जो कुछ घट रहा है, जो कुछ दिखाया, बताया जा रहा है और कुछ हमें विभिन्न तरीकों से परोसा जा रहा है। उनको विश्लेषण करके समझना जरूरी है। दुनिया भर में फैली गैरबराबरी चन्द लोगों के स्वार्थ को पूरा करती है।

कार्यक्रम के दौरान अमेरिका-अमेरिका, आई ऍम दलित हाउ आर यू, गाँव छोडब नाही, रिबन फॉर पीस और धर्मवीर आदि फिल्म दिखाकर चर्चा की गई.

मलाला: साहस का पर्याय

असेम्बली का अंतिम सत्र 14 वर्षीय पाकिस्तानी लड़की शिक्षा और शांति दूत मलाला के नाम रहा। सभी युवाओं ने मलाला के फोटो के आगे मोमबत्ती प्रज्जवलन कर मलाल की लम्बी उम्र की कामना की। साथ ही मलाला के हौसलों को सलाम किया और प्रेरणा ली कि मलाला की तरह हम समाज में बदलाव के लिए ऐसे कदम उठा सकते है।

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